आ चल हिसाब करते हैं तू तेरी जागीर बिछा में मेरी हथेली बिछाता हूं ज़रा देख लकीरें हाथ पर हो या ज़मीं पर नसीब एक ही का बना है हैना?
आ चल हिसाब करते हैं तू तेरी महफ़िल दिखा मैं मेरा जनाज़ा दिखाता हूं ज़रा देख, अर्थ किसका और अर्थी किसकी हंसी किसकी फूटी, सिसक किसकी छूटी नसीब एक ही का बना है हैना?
तेरे मेरे जनम में बस आंगन भर का फ़र्क है एक तरफ़ झूठा स्वर्ग है एक तरफ़ सच्चा नर्क है यह कैसा मायाजाल, जिसमें रोज हम मचलते हैं आ चल हिसाब करते हैं
धूप भले ही एक सी दोनों अंगना बसती है छत बिना है छांव कहां बस जलती मेरी बस्ती है झुलसे घोंसलों में हम ही जाने कैसे हम संभालते हैं आ चल हिसाब करते हैं
पापी पेट है या सेठ यह तो मुनीम ही जाने इंसाफ से सदा ही हम रहते हैं अनजाने लकीरों पर रोकर हम अपने हाथ मलते हैं आ चल हिसाब करते हैं
मुझे नसीब से बैर नहीं जिसे कभी न मिला उससे बैर कैसा चलता रहूंगा मैं मुसाफ़िर मन में जतन है ख़ैर ऐसा साहिलों के पार अपनी सुबह ढूंढा करते हैं कभी खुद पर ही रोते, कभी मन ही मन हस्ते है आ चल हिसाब करते हैं आ चल हिसाब करते हैं
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