किलकारी से आज मन का भर गया है झोला
देखो आज पालना भी झूम कर है डोला
आंगन में अब तो गूंजे है मद्धम सी लोरी
जो जन्मी है घर में अपने प्यारी सी छोरी

समय की करवट के साथ जन्मा भाई छोटा
नानी बन बिटिया झूमी जैसे हुआ हो उसका पोता
दूध के दांत भले टूटे नही हो पांच
रक्षा करे ऐसी भाई को आने ना दे आंच

थी उसके साये में कुछ ऐसी निर्मल छाया
पापा की डांट से मानो हर रोज़ ही बचाया
जो माँ की ममता अगर कभी पड गयी अधूरी
अम्मा बन हरदम की हर कसर है उसने पूरी

और भाई की मुठ्ठी में ताक़त कुछ ऐसी समाई
जो बहन की राखी से सज गयी उसकी कलाई
फ़िर भाई के रुतबे में लग जाता ऐसा तड़का
कि आंख उठाने से डरे मोहल्ले का हर लड़का

पर पलक झपकते ही देखो बड़ी हो गयी लाड़की
दुल्हन बन बैठी है आज, सज गयी है देखो पालकी
पीछे छोड़े अपने कई आँसुओं के अम्बार
ससुराल चली बन्नो बसाने अपना संसार

पापा बोले जा बिटिया रखना सबको हरदम ही ख़ुश
तू जन्मी थी तो ही उभरा था मेरे भीतर का पौरुष
तेरी ज़िद्द न होती ऐ बहना तो मैं पैदा न हुआ होता
बोला भाई, अब सूना हो गया देख तेरा नन्हा पोता

नारी की महिमा हैं यह, उसकी कोमल सी ममता
हर नर में परिवर्तन लाने की अद्भुत सी ये क्षमता
अगर ना होता नारी का वो निर्मल पावन प्यार
मानो ओझल हो जाता इस संसार का ही सार

हो धागों के ये रिश्ते या हो ममता के अटूट तार
इस प्रेम की पतवार से ही होती है नैया पार
नारी का अस्तित्व ही है मानो देवी का अवतार
आओ मिलकर इस शक्ति का करें हम जयजयकार